कहानी -
कड़ी मेहनत से ही सफलता मिलती है।
सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। यह बात सुनने में आसान लगती है, लेकिन समझने और अपनाने में समय लगता है।
आज की इस प्रेरणादायक कहानी में हम एक ऐसे बच्चे से मिलेंगे, जिसने आलस को छोड़कर मेहनत को अपनाया और अपने जीवन में बदलाव लाया।
मोहन एक छोटे कस्बे में रहता था। वह सातवीं कक्षा में पढ़ता था और पढ़ाई में ठीक-ठाक था, लेकिन उसकी एक बड़ी कमजोरी थी – आलस।
स्कूल से लौटते ही बैग को एक कोने में फेंक देता, और घंटों टीवी देखता या मोबाइल पर गेम खेलता। होमवर्क का नाम सुनते ही उसका चेहरा उतर जाता। वह हमेशा कहता – “कल से शुरू करूंगा”।
उसके माता-पिता और शिक्षक उसे समझाते कि “बेटा, मेहनत के बिना सफलता नहीं मिलती।” लेकिन मोहन हर बार टाल देता – “अभी तो बहुत टाइम है, बाद में देख लेंगे।”
धीरे-धीरे समय निकलता गया। जब वार्षिक परीक्षा का समय पास आया, तो मोहन के हाथ-पाँव फूल गए। किताबें उसके लिए जैसे पहाड़ बन गईं। रात को देर तक पढ़ने की कोशिश करता, लेकिन नींद और थकान उसे जकड़ लेती।
उसे समझ में आया कि साल भर का आलस, कुछ दिनों की मेहनत से पूरा नहीं किया जा सकता।
परीक्षा से एक हफ्ता पहले, उसकी क्लास टीचर ने पूरे बच्चों को एक छोटी-सी बात कही –
“सफलता का असली स्वाद वही चखता है, जो दिन-रात मेहनत करता है। हार का डर मेहनत से ही दूर होता है।”
ये शब्द मोहन के दिल में उतर गए। उसने सोचा – “अगर अभी नहीं बदला, तो जिंदगी भर पछताना पड़ेगा।”
मोहन ने उसी दिन से अपनी दिनचर्या बदल दी।
सुबह जल्दी उठना
तय समय पर पढ़ाई करना
क्लास में ध्यान से सुनना
होमवर्क समय पर करना
दोस्तों के साथ ग्रुप स्टडी करना
शुरुआत में यह मुश्किल लगा, लेकिन धीरे-धीरे यह उसकी आदत बन गई
परीक्षा खत्म हुई और रिज़ल्ट का दिन आया। मोहन का नाम क्लास के टॉप 5 छात्रों में था। वह खुद भी हैरान था कि मेहनत ने इतना बड़ा बदलाव ला दिया। उसके पापा-मम्मी की आंखों में खुशी के आंसू थे, और टीचर ने पूरे स्कूल के सामने उसकी तारीफ की।
कहानी की सीख
यह कहानी हमें एक गहरा संदेश देती है –
“कड़ी मेहनत और अनुशासन से हर मुश्किल को आसान बनाया जा सकता है। सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं, मेहनत ही असली कुंजी है।”