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STORY-solution-to-the-problem - schoolstuffs36garh |
दस साल का राहुल, अपने पिता के साथ रोज़ सुबह पास की पहाड़ी पर चहल-पहल करने जाता था। एक दिन, उसने उत्साह से कहा, "पिताजी, आज हम दौड़ लगाते हैं! जो पहले झंडे को छूएगा, वो जीतेगा!" पिता मुस्कुराए और तैयार हो गए।
दौड़ शुरू हुई। धीरे-धीरे दोनों ने रफ्तार पकड़ी। कुछ देर बाद, पिताजी रुक गए। राहुल ने पूछा, "क्या हुआ पापा? हार मान ली?" पिताजी ने जवाब दिया, "नहीं बेटा, मेरे जूते में कंकड़ आ गया है।" राहुल ने कहा, "मेरे भी जूते में कंकड़ हैं, पर मैं रुक नहीं सकता, नहीं तो हार जाऊँगा!" और वो तेज़ी से आगे बढ़ गया।
पिताजी ने कंकड़ निकाला और दौड़ जारी रखी। राहुल उनसे काफ़ी आगे था, लेकिन धीरे-धीरे उसे अपने पैरों में दर्द महसूस होने लगा। उसकी रफ्तार कम होने लगी और पिताजी उसके करीब आने लगे।
दर्द से परेशान राहुल ने पीछे मुड़कर कहा, "पापा, मैं रुक कर कंकड़ निकाल लूं?" पिताजी ने जवाब दिया, "हाँ बेटा, जल्दी करो!" राहुल बोला, "मेरे पास समय नहीं है!" और फिर से दौड़ने लगा।
थोड़ी ही देर में पिताजी राहुल से आगे निकल गए। कंकड़ के चुभन से राहुल का दर्द बढ़ गया और वो रुककर रो पड़ा, "पापा, मैं नहीं दौड़ सकता!" पिताजी दौड़ते हुए उसके पास आए और उसके जूते उतारे। राहुल के पैर से खून बह रहा था।
पिताजी ने राहुल को घर ले जाकर उसका इलाज किया। दर्द कम होने पर उन्होंने समझाया, "बेटा, मैंने तुम्हें पहले कंकड़ निकालने को कहा था।" राहुल ने कहा, "मैंने सोचा था, रुकूंगा तो हार जाऊँगा!"
पिताजी ने प्यार से कहा, "बेटा, जीवन में भी जब कोई समस्या आए, तो उसे अनदेखा मत करो। समस्या को दूर करने में थोड़ा समय लगेगा, पर उसे अनदेखा करने से वो और बड़ी होगी और नुकसान भी ज्यादा होगा। तुम्हें कंकड़ निकालने में एक मिनट लगता, पर अब तुम्हें हफ्ते भर दर्द सहना पड़ेगा।"
राहुल ने पिता की बात समझी और सीख लिया कि जीवन की छोटी-छोटी समस्याओं को भी नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए, वरना वो बड़ी मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं।
नैतिक शिक्षा:
- समस्याओं से ना भागें, उनका सामना करें।
- छोटी समस्याओं को अनदेखा ना करें, वरना वो बड़ी हो सकती हैं।
- समय रहते समस्याओं का समाधान करें, ताकि बाद में पछतावा ना हो।
दोस्तों हमारा जीवन ऐसी तमाम कंकडों से भरा हुआ है l