कहानी - सेवा की महिमा - Glory Of Service.

Story - Glory Of Service - schoolstuffs36garh
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एक दिन, सूरज की पहली किरणों के साथ ही एक भिखारी भिक्षा मांगने निकल पड़ा। चलते-चलते उसने अपनी झोली में थोड़े दाने जौ डाल लिए। उसकी मान्यता थी कि भिखारी को कभी भी खाली झोली लेकर नहीं निकलना चाहिए। ऐसा करने से, जब कोई उसकी झोली को देखेगा, तो उसे लगेगा कि उसे पहले ही कुछ मिल चुका है।

 

वह दिन पूर्णिमा का था। भिखारी सोच रहा था कि अगर ईश्वर की कृपा हो, तो शायद शाम तक उसकी झोली भर जाएगी। अचानक, राजपथ पर उसी देश के राजा की सवारी आती हुई दिखाई दी।

भिखारी का चेहरा खुशी से खिल उठा। उसने सोचा कि राजा के दर्शन और उनसे मिलने से उसकी सारी गरीबी दूर हो जाएगी और उसका जीवन सुखमय हो जाएगा। जैसे-जैसे राजा की सवारी निकट आती गई, भिखारी का उत्साह भी बढ़ता गया।

 

जब राजा का रथ उसके पास आया, तो राजा ने रथ रुकवाया और उसके पास आकर खड़े हो गए। भिखारी की सांसें थम गईं। उसने सोचा कि राजा उसे कुछ दान देंगे।

लेकिन राजा ने अप्रत्याशित रूप से, अपनी चादर उसके सामने फैला दी और सेवा करने की इच्छा व्यक्त की। भिखारी हतप्रभ रह गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे।

राजा ने दोबारा कहा, "कृपया मुझे कुछ बख्शीश दें।"

भिखारी ने अपनी झोली में हाथ डाला, लेकिन उसे लगा कि दूसरों से मांगने की उसकी आदत अभी भी बनी हुई है।

 

अंत में, उसने संकोच करते हुए दो दाने जौ निकाले और राजा की चादर में डाल दिए। जब उसने अपनी झोली की खाली जगह को देखा, तो उसे हैरानी हुई।

उस दिन, भिखारी को बहुत अधिक भिक्षा मिली, लेकिन उसकी झोली की खाली जगह का दुख उसे पूरे दिन साथ रहा। शाम को जब उसने झोली खोली, तो वह दंग रह गया।

 

जो जौ उसने झोली में रखा था, वे अब दो चमकदार सोने के दाने बन गए थे।

 

उस क्षण, भिखारी को समझ में आया कि यह सब सेवा की महिमा के कारण हुआ था। उसे पछतावा हुआ कि काश! उसने उस समय राजा को और अधिक जौ दिए होते, लेकिन वह ऐसा नहीं कर सका क्योंकि उसकी देने की आदत नहीं थी।

 

शिक्षा:

इस कहानी से हमें कई महत्वपूर्ण शिक्षाएं मिलती हैं:

  • देने से कभी कोई चीज कम नहीं होती: उदारता से दान करने से हमारी संपत्ति कभी कम नहीं होती, बल्कि बढ़ती है।
  • जो लेता है, वही देने वाला बड़ा होता है: जो दूसरों की मदद करता है और दान देता है, वह सच्चा महान होता है।
  • अंधेरे में छाया, बुढ़ापे में काया और अंत समय में माया किसी का साथ नहीं देती: धन-दौलत, सौंदर्य और सांसारिक सुख सुविधाएं क्षणभंगुर हैं।

 

इसलिए, हमें सदैव दूसरों की मदद करने और परोपकार करने का प्रयास करना चाहिए।

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