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संयम की कहानी - schoolstuffs36garh |
एक दिन देवरानी और जेठानी में किसी बात को लेकर बहस हो गई। बहस इतनी बढ़ गई कि दोनों ने गुस्से में एक दूसरे का मुँह तक न देखने की कसम खा ली। दोनों अपने-अपने कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर बैठ गईं।
थोड़ी देर बाद जेठानी के कमरे के दरवाजे पर दस्तक हुई। जेठानी ने ऊँची आवाज में पूछा, "कौन है?"
बाहर से देवरानी ने कहा, "दीदी मैं!"
जेठानी ने दरवाजा खोला और कहा, "अभी तो तुमने कसम खाई थी कि मुँह तक नहीं देखोगी। अब क्यों आई हो?"
देवरानी ने कहा, "दीदी, मैंने सोचा और फिर वही बात याद आई जो माँ ने कही थी। उन्होंने कहा था कि जब कभी किसी से आपसी झगड़ा हो जाए तो उसकी अच्छाइयों को याद करो। मैंने वही किया और मुझे आपका दिया हुआ प्यार ही याद आया। इसलिए मैं आपके लिए चाय ले आई हूँ।"
यह सुनकर जेठानी का गुस्सा गायब हो गया। दोनों रोते हुए एक दूसरे के गले लग गईं और साथ बैठकर चाय पीने लगीं।
नैतिक शिक्षा:
- जीवन में क्रोध को क्रोध से नहीं जीता जा सकता, बोध से जीता जा सकता है।
- अग्नि अग्नि से नहीं बुझती, जल से बुझती है।
- समझदार व्यक्ति बड़ी से बड़ी बिगड़ती स्थितियों को दो शब्द प्रेम के बोलकर संभाल लेते हैं।
- हर स्थिति में संयम और बड़ा दिल रखना ही श्रेष्ठ है।
यह कहानी हमें सिखाती है कि क्रोध से कुछ भी हल नहीं होता। क्रोध में हम कसमें खा लेते हैं, गलत बातें कह देते हैं, और अपने रिश्तों को नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए हमें हमेशा क्रोध को शांत करने की कोशिश करनी चाहिए।
यह कहानी हमें प्रेम का महत्व भी सिखाती है। प्रेम ही वह शक्ति है जो सभी बाधाओं को पार कर सकती है। हमें हमेशा अपने रिश्तों में प्रेम और समझ को बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए।