शाला प्रवेशोत्सव 2023 गाइडलाइन्स



छत्तीसगढ़ राज्य में सरकारी स्कूलों की छुट्टियाँ समाप्त होने जा रही है | नए शैक्षणिक सत्र 2023-24 का आगाज 16 जून से होने वाली थी किन्तु भीषण गर्मी को देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्यमंत्री माननीय भूपेश बघेल जी ने छात्रों को राहत देते हुए 26 जून 2023 तक शाला बंद रखने का आदेश जारी किया है | 


27 जून 2023 से शाला खुल जाएँगी और प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी राज्य सरकार ने शाला प्रवेशोत्सव को यादगार एवं अविस्मरणीय बनाने के लिए रूप-रेखा तैयार कर ऑफिसियल सर्कुलर जारी किया है | चलिए जानने की कोशिश करते हैं कि राज्य की शिक्षा विभाग ने शाला नव-प्रवेश उत्सव के लिए क्या-क्या गाइडलाइन्स तैयार किया |

शाला प्रवेशोत्सव के आयोजन हेतु राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित रूप-रेखा :- 
सत्र की शुरुआत को सभी हितग्राहियों के मध्य अविस्मरणीय एवं यादगार बनाने की दृष्टि से इस वर्ष शाला प्रवेशोत्सव के आयोजन के दौरान निम्नलिखित दिशानिर्देशों का पालन करते हुए शाला प्रवेश को एक "उत्सव" के रूप में आयोजित किया जाना सुनिश्चित करें-

1. प्रवेशोत्सव के दौरान आमंत्रित लक्ष्य समूह :-
प्रवेशोत्सव के अवसर पर शाला परिवार की ओर से निम्नलिखित अतिथियों को आमंत्रित करें-

  • शाला में नव प्रवेशी बच्चे, नियमित अध्ययनरत विद्यार्थी एवं उनके पालक |
  • शाला त्यागी एवं अप्रवेशी बच्चे, पलायन के दौरान बाहर जाने वाले बच्चे एवं उनके पालक
  • ऐसे शाला त्यागी बच्चे जिन्होंने ओपन स्कूल सुविधा का लाभ लेकर कक्षा दसवीं / बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण किये हों |
  • संबंधित शाला से अध्ययन कर निकले भूतपूर्व विद्यार्थियों का एल्युमिनी एवं सेवानिवृत्त शिक्षक |
  • शाला प्रबन्धन समिति एवं शाला से जुड़े सभी सदस्य ग्रीष्मावकाश के दौरान बच्चों के सीखने में सहयोग देने वाले समुदाय के सदस्य जिन्होंने सीखने-सिखाने एवं सीखने हेतु कक्ष आदि की व्यवस्था में सक्रिय सहयोग दिया |
  • "अंगना म शिक्षा" कार्यक्रम से जुडी माताएं जिन्होंने बच्चों को घर पर रहकर सीखने में सहयोग किया |
  • स्थानीय स्तर पर विभिन्न निकायों / विभागों में सेवारत एवं सेवानिवृत्त अधिकारी / कर्मचारी गण |
  • आंगनबाड़ी एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ता, महिला स्व-सहायता समूह, विभिन्न सामुदायिक संगठन प्रमुख |
  • विद्यांजली कार्यक्रम के अंतर्गत शाला में आवश्यकतानुसार कुछ मूलभूत सुविधाएं देने के इच्छुक व्यक्ति / संस्थान के प्रतिनिधि जो बच्चों को स्लेट पेंसिल, कॉपी, कम्पास बॉक्स से लेकर अन्य सुविधाएं देने को तत्पर हों |
  • मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि एवं स्थानीय जन प्रतिनिधिगण

2. प्रवेशोत्सव के आयोजन के पूर्व संपादित किये जाने हेतु विशेष कार्यों का विवरण :-
दिनांक 16 जून 2023 से प्रारंभ होने वाले प्रवेशोत्सव के आयोजन के पूर्व एवं पश्चात् हम सबको मिलकर कुछ विशेष कार्य संपादित करने होंगे ताकि प्रवेशोत्सव के सार्थक और बेहतर परिणाम मिल सकें। इनमें से कुछ इस प्रकार हो सकते हैं-
        अ) शाला प्रबन्धन समिति की विशेष बैठक का आयोजन :-
            सत्र प्रारंभ होने से पहले शाला प्रबन्धन समिति की विशेष बैठक का आयोजन कर निम्नलिखित एजेंडा
            अनुसार कार्यवाहियों की जायें - 
  • शाला प्रबन्धन समिति की जवाबदेहियों से परिचय (विशेषकर गुणवत्ता परक शिक्षा संबंधी) |
  • शाला की आवश्यकताओं का आकलन एवं संसाधन सुविधा सुलभ करवाए जाने हेतु सामुदायिक सहयोग |
  • शाला को आकर्षक एवं परिसर में प्रिंट रिच वातावरण बनाना |
  • शाला में उपलब्ध सुविधाओं का उल्लेख करते हुए विज्ञापन जारी कर अधिकाधिक प्रवेश |                       
  • शाला प्रवेशोत्सव कार्यक्रम के आयोजन हेतु तैयारियां एवं अपने क्षेत्र को शून्य ड्राप आउट क्षेत्र अथवा शत-प्रतिशत उपस्थिति वाला क्षेत्र घोषित किए जाने हेतु पालक संपर्क अभियान |
  • शाला का सुरक्षा ऑडिट कर बच्चों के लिए खतरे की संभावनाओं वाले स्थल का आंकलन कर कमियों को दूर करना |
  • स्वच्छ पेयजल, शौचालय एवं मध्याह्न भोजन में पौष्टिकता पर ध्यान देना |
  • स्थानीय आवश्यकता अनुसार एजेंडा का निर्धारण कर उस पर निर्णय लेना |

            ब) शाला प्रवेशोत्सव के आयोजन के संबंध में व्यापक प्रचार-प्रसार :-
                शाला प्रवेशोत्सव संबंधी कार्यक्रम का आयोजन राज्य के सभी शासकीय, अनुदान प्राप्त एवं निजी शालाओं में किया जाना है। इस कार्यक्रम के प्रचार-प्रसार हेतु राज्य स्तर से सभी जिलों एवं विकासखंड मुख्यालय के लिए होर्डिंग, बैनर, विज्ञापन एवं जिंगल्स आदि तैयार कर नमूने भेजे जाएंगे। जिले भी अपने स्थानीय परिस्थितियों एवं योजनाओं के आधार पर प्रचार सामग्री तैयार कर सकेंगे। शाला एवं स्थानीय स्तर पर निम्नलिखित कार्यक्रम आयोजित किए जाएं-
    
  • शाला में अध्ययनरत् बच्चों, शाला प्रबन्धन समिति एवं समुदाय के माध्यम से रैली निकालकर एवं घर-घर सर्वे कर ऐसे बच्चों की पहचान करना जो शाला जाने योग्य हैं, जो शाला त्यागी या अप्रवेशी हैं, जिनके घरों से बच्चे प्रतिवर्ष पलायन करते हैं, जो विशिष्ट आवश्यकताओं की वजह से कुछ सुविधाओं के अभाव में शाला नहीं जा पा रहे हैं। ऐसे बच्चों के पालकों के साथ विशेष बैठक लेकर उनसे घरों में संपर्क कर उन्हें शाला में प्रवेश लेने एवं पूरे सत्र में नियमित उपस्थिति हेतु समझाइश देते हुए प्रोत्साहित करें
  • शाला प्रवेशोत्सव के आयोजन की जानकारी एवं समय आदि के संबंध में आवश्यक सूचनाएं बच्चों के माध्यम से समुदाय को एवं कोटवार के माध्यम से दो दिनों तक मुनादी करवा लेवें और अधिक से अधिक बच्चों को शासकीय शालाओं में प्रवेश लेने हेतु प्रेरित करें 
  • शालाओं के माध्यम से विद्यार्थियों को दी जाने वाली सुविधाओं को प्रवेशोत्सव के दौरान वितरित करने हेतु कुछ पात्र विद्यार्थियों का चयन कर उन्हें कार्यक्रम स्थल पर तैयार रखें एवं वितरित की जाने वाली सामग्री को भी उपहार स्वरुप देने योग्य तैयार रखें 
  • प्रवेशोत्सव का व्यापक प्रचार-प्रसार करते हुए बच्चों के माध्यम से शिक्षा के महत्व को प्रदर्शित करने हेतु नुक्कड़ नाटक, बड़े-बुजुर्गों से कहानी सुनाना, स्थानीय भाषा में दीवार लेखन, स्लोगन-नारे एवं रैलियों का आयोजन कर प्रत्येक बच्चे को शाला से जोड़ें अंगना म शिक्षा के मेले का आयोजन भी प्रवेशोत्सव के आसपास करते हुए बच्चों द्वारा सीखे गए बिन्दुओं का आकलन करते हुए माताओं द्वारा सपोर्ट कार्ड देने की व्यवस्था करें
3. प्रवेशोत्सव के दौरान दिवसवार संपादित किये जाने हेतु विशेष कार्यों का विवरण:-

प्रथम दिवसः
राज्य स्तरीय कार्यक्रम का सभी शालाओं में अवलोकन / माननीय मुख्यमंत्रीजी / शिक्षामंत्रीजी के संदेश का वाचन / नवप्रवेशी बच्चों का स्वागत / बच्चों को मिलने वाली विभिन्न सुविधाओं का वितरण / जनप्रतिनिधियों द्वारा स्कूल के विकास हेतु शपथ एवं विचार / बच्चों द्वारा विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम / शाला में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों का सम्मान / पालकों का स्कूल के बारे में अभिमत / मुख्य अतिथि का उद्बोधन।

द्वितीय दिवसः
शाला में बड़े कक्षाओं के विद्यार्थी, शिक्षा में रूचि लेने वाले युवाओं, माताओं एवं सेवानिवृत्त व्यक्तियों की बैठक लेकर अपने क्षेत्र को शून्य ड्राप आउट गाँव घोषित करने आवश्यक कार्यवाहियाँ प्रतिदिन प्रभात फेरी निकाले जाने की प्रक्रिया एवं रूट चार्ट, घर-घर संपर्क की प्रक्रिया का विवरण एवं अभ्यास, नुक्कड़ नाटक का अभ्यास, शाला से बाह्य बच्चों को मुख्यधारा में जोड़ने के प्रयास आदि पर चर्चा एवं बच्चों को तैयार किया जाएगा।

तृतीय दिवसः
घर-घर संपर्क- बड़ी कक्षाओं के बच्चों को घर-घर संपर्क कार्यक्रम के अंतर्गत कैसे प्रत्येक घर में जाकर पालकों से संपर्क कर उन्हें अपने बच्चों को नियमित समय पर अच्छे से तैयार कर शाला भेजना है, के बारे में जानकारी देने के बारे में सीखाकर भेजेंगे घरों में यदि अप्रवेशी, प्रवेश योग्य बच्चे एवं अनियमित उपस्थिति वाले बच्चे हैं तो उन्हें शाला में प्रवेश दिलवाते हुए नियमित शाला आने के लिए आवश्यक वातावरण तैयार करेंगे। बड़ी कक्षा के बच्चे यह कार्य प्रतिदिन तब तक करेंगे जब तक कि शाला जाने योग्य आयु के सभी बच्चों को वे शाला नियमित आने के लिए सहमत न कर लेवें एवं प्रवेश प्रक्रिया पूरी न कर लेवें।

चतुर्थ दिवसः
बच्चों में आकांक्षा स्तर विकसित कर उनके लिए आगे जीवन में विकास के क्षेत्रों की पहचान करने, विभिन्न रोजगार के अवसर से परिचित करवाने एवं आसपास का भ्रमण कर विभिन्न रोजगारों से परिचित करवाएं। विगत वर्षों में सभी शालाओं में गढ़बो नवा छत्तीसगढ़" नामक पुस्तक बच्चों को एवं स्कूल में उपलब्ध करवाई गयी है। इस पुस्तक को सभी बच्चों को पढवाएं एवं इस पुस्तक में लिखी गयी कहानियों एवं चित्रों पर आगामी दो तीन दिनों तक बच्चों को दिखाते हुए चित्रों एवं कहानियों पर चर्चा आयोजित करें।

पंचम दिवसः
बच्चों को साधारण गणित के सवाल देकर बनाने का अभ्यास करवाएं। शाला में उपलब्ध गणित किट, गणित की सहायक सामग्री एवं गणित के रोचक खेल आदि का संकलन कर बच्चों से दिन भर अकेले एवं समूह में रहकर विभिन्न सवालों को हल करवाएं। बच्चों से कुछ मौखिक गणित के सवाल भी हल करवाते हुए उन्हें गणित में रूचि विकसित करने का प्रयास करें।

छठवां दिवसः
प्रत्येक शाला में खेलगढ़िया के अंतर्गत खेल सामग्री उपलब्ध करवाई गयी है। प्रवेशोत्सव के छठवें दिवस सभी शालाओं में बच्चों को आमंत्रित कर उन्हें विभिन्न खेलकूद में शामिल करते हुए उनका उत्साहवर्धन करें। छोटी कक्षा में बच्चों को सीखने में सहयोग करने हेतु खिलौने बनाने की प्रतियोगिता भी आयोजित कर स्कूल के लिए समुदाय की मदद से खिलौने एकत्र करने एवं स्थानीय संसाधनों से विभिन्न खिलौने बनाए जाने का कार्य भी करवाएं। पुस्तकालय संचालन के सम्बन्ध में रंगोत्सव सामग्री का अध्ययन कर लेंवें ।

सातवां दिवसः
आज सभी शालाओं में संचालित मुस्कान पुस्तकालय से बच्चों को अपनी इच्छा से पुस्तकें लेकर उन्हें पढ़ने, समझने एवं जोड़ी में पढ़ी गयी पुस्तकों पर आपस में चर्चा करने के अवसर भी देवें । बच्चों में पढ़ने में रूचि विकसित करने के साथ-साथ पढ़ने के स्पीड का भी आकलन करने की व्यवस्था करें। बच्चों को पूरे सत्र में समझ के साथ-साथ अधिक से अधिक स्पीड में पुस्तकों को पढ़ने का अभ्यास करने हेतु प्रेरित करें

आठवां दिवसः
आज का दिन समुदाय के बड़े-बुजुर्गों को आमंत्रित कर कहानी सुनाने का हैं। कुछ दिन पहले से ही आसपास के समुदाय के बड़े-बुजुर्गों को किसी एक स्थल में आमंत्रित कर बच्चों के छोटे छोटे समूह में कहानी सुनाने का अवसर देवें। बड़े कक्षाओं के बच्चों को इन कहानियों को सुनकर कागज में लिखने की जिम्मेदारी देवें। स्थानीय युवाओं को ऐसी बेहतर कहानियों को मोबाइल से रिकार्ड कर उनका पोडकास्ट बनाने हेतु प्रेरित करें। इन पोडकास्ट को जिले एवं राज्य स्तर पर भिजवाते हुए व्यापक स्तर पर उपयोग करने के अवसर प्रदान करें।

नवम दिवस:
इस दिन समुदाय में बोले जाने वाली प्रचलित स्थानीय भाषा में सामग्री तैयार करने हेतु आवश्यक प्रक्रियाएं अपनाएं। बड़े-बुजुर्गों द्वारा सुनाई गयी कहानियों एवं प्रचलित कहानियों पर स्थानीय भाषा में कहानी पुस्तकें तैयार कर प्रत्येक स्कूल के पुस्तकालय में रखवाएं, प्रवेशोत्सव के दौरान प्रत्येक स्कूल में कम से कम दस कहानी की पुस्तकें जन सहयोग से तैयार करवाते हुए उपयोग में लाएं। इन पुस्तकों को बाद में एक दूसरे के स्कूलों में बदलकर पढने के अवसर दिए जा सकते हैं। शालाओं को प्रदाय की गई स्थानीय सामग्री का उपयोग एवं अध्ययन करे।

दसवां दिवसः
इस दिन अवकाश के अवसर पर अधिक से अधिक समुदाय के सदस्यों को पहले से आमंत्रित करते हुए कम से कम आधे दिन का कार्यक्रम आयोजित करें, समुदाय के साथ शाला विकास योजना, शाला एवं परिसर का सुरक्षा ऑडिट, बच्चों का सामाजिक अंकेक्षण, अनियमित उपस्थिति एवं रोजगार के लिए लंबी अवधि तक बाहर रहने वाले बच्चों के पालकों से संपर्क कर उन्हें नियमित उपस्थिति के लिए प्रेरित करना, पालकों एवं समुदाय को निपुण भारत शपथ लेकर सभी बच्चों को सीखने-सिखाने के लिए जागरूक करना एवं घर पर बच्चों की पढ़ाई पर नियमित रूप से विशेष ध्यान देने हेतु पालकों को तैयार किया जाना होगा। इस दौरान शाला सुरक्षा योजना एवं शाला संकुल योजना से सम्बंधित सामग्री का उपयोग एवं अध्ययन कर लेंवे।

4. प्रवेशोत्सव के दौरान किये जाने हेतु कुछ सुझावात्मक नवाचार :-
  • प्रवेशोत्सव के दौरान नवप्रवेशी बच्चों के हाथों की निशानी को दीवार अथवा ड्राइंग शीट में उकेर कर प्रदर्शित करते हुए यादगार पल के रूप में सुरक्षित रखें
  • फूलों के आकर्षक कट आउट बनाकर नव प्रवेशी बच्चों को उन फूलों के बीच अपने चेहरे को रखते हुए सही नए बच्चों का स्वागत "हमारी बगिया के नए फूल" के रूप में करवाएं |
  • छत्तीसगढ़ी परंपरा के अनुसार नए प्रवेशित बच्चों को पगड़ी पहनाकर भी स्वागत करवाया जा सकता है
  • नव प्रवेशी बच्चों के पैरों की निशानी भी लेकर प्रवेश की घटना को यादगार बनाया जा सकता है
  • बड़ी कक्षा के बच्चे नव-प्रवेशी बच्चों को कुछ उपहार देकर भी स्कूल में उनका स्वागत कर इस दिन को रोचक बनाने में अपना योगदान दे सकते हैं

5. आने वाले सत्र में कक्षाओं में कुछ नयापन / बदलाव लाने हेतु सुझाव :-

सरकारी स्कूलों को असरकारी बनाने हेतु हम सबको मिलकर अपने कार्यसंस्कृति में अमूल-चूल परिवर्तन कर बदलाव लाते हुए बेहतर परिणाम देने होंगे। हम इन छोटे-छोटे बदलावों को सभी शालाओं में संकुलों के माध्यम से सुनिश्चित कर सकते हैं-

  • प्रत्येक शाला में उसके फीडर शाला एवं पिछली कक्षा के सभी बच्चों को अगली कक्षा में प्रवेश लेने की स्थिति एवं बच्चों से शाला जाने योग्य सभी बच्चे एवं शाला त्यागी, अप्रवेशी बच्चों की पहचान कर सभी शाला अप्रवेशी बच्चों को इस सत्र में प्रत्येक बच्चे की ट्रेकिंग करते हुए उनका नियमित प्रवेश एवं सीखना सुनिश्चित करवाएं ( OOSC)
  • कक्षा 1 से 3 तक आपको उपलब्ध करवाए गए होलिस्टिक रिपोर्ट के आधार पर उन कक्षाओं के लिए निर्धारित सभी लर्निंग आउटकम को अगली कक्षा में प्रवेश लेने के पूर्व अच्छे से हासिल किया जाना सुनिश्चित करें ताकि शिक्षकों को कक्षा अनुरूप दक्षताओं पर पूरे सत्र में कार्य करने का अवसर मिल सके (Teaching at Right Lovel TaRL)
  • शाला परिसर में प्रिंट रिच वातावरण (Print & rich environment) एवं शाला की बाहरी दीवार पर सभी कार्यरत शिक्षकों के फोटोग्राफ एवं उनका विवरण
  • प्रत्येक प्राथमिक शाला के कक्षा 1 के बच्चों के साथ 90 दिनों का शाला हेतु तैयारी कार्यक्रम ( school Readiness) के माध्यम से बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करना
  • प्रत्येक बच्चे को अभ्यास पुस्तिकाएं देते हुए उन पर नियमित अभ्यास (practice with workbooks and feedback for improvement ) कर उनके कार्यों में सुधार हेतु नियमित फीडबैक देने की व्यवस्था
  • विद्यार्थियों को एक दूसरे से सीखने हेतु (Peer Learning) प्रत्येक विद्यार्थी को छोटे-छोटे समूहों में एक दूसरे के साथ मिलकर सीखने-सिखाने का नियमित अनुभव
  • बच्चों को प्रदत्त पाठ्यपुस्तकों में कव्हर डलवाएं ताकि उन्हें सुरक्षित रखा जा सके
  • प्रारंभ से ही बच्चों के पठन कौशल विकास पर फोकस करते हुए उनकी समझ के साथ पढने की गति में सुधार पर विशेष ध्यान देवें। प्रत्येक बच्चे को कक्षा तीन तक पढ़ने के कौशल के विकास एवं उसके बाद समझ एवं गति के साथ पढने में निरंतर सुधार लाने की दिशा में प्रत्येक बच्चे पर ध्यान देते हुए आगे बढ़ें (Learn to Read and then Read to Learn )
  • कक्षा शिक्षण में नवीन प्रविधियों का अधिकाधिक उपयोग करते हुए बच्चों के बेहतर सीखने की दिशा में काम करना जारी रखें, खिलौनों से सीखना, स्थानीय भाषा में सीखने में सहयोग करना, खेल-खेल में सीखना, अनुभवों से सीखना, बड़े एवं छोटे समूह बनाकर एक दूसरे से सीखना, समुदाय से सीखने में सहयोग लेने जैसे रणनीतियों का पूरी कडाई से अपनी अपनी कक्षाओं में पालन करवाएं। (innovative pedagogy)
  • आकलन को प्रभावी बनाने हेतु सीखने का आकलन के बदले में सीखने के लिए आकलन (assessment for learning & not assessment of learning) को उपयोग में लाएं।
  • आगामी सत्र में उपरोक्त बातों को सभी शिक्षक अपनाते हुए एक व्यापक बदलाव की ओर अग्रसर होते हुए बदलाव के वाहक बनने संबंधी क्रान्ति में सक्रिय भूमिका निभाएं।

6. प्रवेशोत्सव के दौरान उपयोग में लाए जाने हेतु नारे / स्लोगन :-
इस सत्र के लिए फोकस मुद्दों को ध्यान में रखते हुए कुछ नारे / स्लोगन तैयार कर उनका इस्तेमाल करें द्य अपने अपने जिले में इस्तेमाल में आने वाली विभिन्न स्थानीय भाषाओं में नारे / स्लोगन तैयार कर उनका उपयोग करें कुछ सुझावात्मक नारे इस प्रकार हो सकते हैं -
  • शिक्षा ऐसी सीढ़ी हैं, जिससे चलती पीढ़ी हैं‍
  • गाँव हो या शहर हो, हर तरफ शिक्षा की लहर हो ।
  • न हो कोई भेद भाव न हो शिक्षा का अभाव।
  • गांव का हर बगिया महकाना है, बच्चों को साक्षर बनाना है ।।
  • पूरे देश की है यही आवाज पढ़ा लिखा हो हर बच्चा आज ।।
  • एक दो तीन चार शिक्षा बिना जीवन बेकार ।।
  • होगा कल ये तुम्हारा गहना, अगर तुम शिक्षित होती हो बहना ।।
  • शिक्षा है हर समस्या का हल तभी बनेगा हमारा बेहतर कल ||
  • पढ़ना है पढ़ाना है सबला आघू बढ़ाना है
  • खेलबो, पढ़बो, लिखबो, सीखबो अउ जिनगी मा आघू बढबो
  • हम सबका एक ही नारा द्यपढ़ना लिखना लक्ष्य हमारा ।।
  • 21वीं सदी की यही पुकार, शिक्षा है सबका अधिकार
  • शिक्षा है जीवन का आधार इसके बिना सब बेकार
  • कोई ना छूटे अबकी बार, आओ बच्चों शिक्षा के दुआर
  • अनपढ़ होना है अभिशाप, कोइ न हो अंगूठा छाप

7. इस वर्ष के प्रवेशोत्सव के आधार पर व्यापक बदलाव के क्षेत्र :-
  • अधिक से अधिक सरकारी स्कूलों को सुघ्घर पढ़वैय्या योजना के निर्धारित सीमा में लाया जा सकेगा
  • "स्कूल जतन योजना" शालाओं को आकर्षक एवं सीखने के प्रभावी केंद्र के रूप में विकसित किया जा सकेगा
  • शिक्षकों के सतत क्षमता विकास के माध्यम से कक्षाओं में नवीन, रोचक एवं प्रभावी शिक्षण प्रक्रियाओं को लागू किया जा सकेगा
  • अधिक से अधिक गांवों को शून्य ड्राप आउट गाँवों के रूप में घोषित किया जा सकेगा
8. प्रवेशोत्सव के दौरान ट्रेकिंग हेतु सूचकांक :-
बसाहट / ग्राम / वार्ड / शाला संकुल / विकासखंड / जिले एवं राज्य स्तर पर निम्नलिखित सूचकांकों पर प्रतिदिन ट्रैकिंग करने के प्रावधान किए जाएं -
  • शाला से बाह्य बच्चों / अनियमित उपस्थिति वाले बच्चों की पहचान कर उनकी सूची बनाना एवं संख्या से अवगत करवाना
  • ऐसे बच्चों की सूची एवं संख्या से अवगत करवाना जिन्हें प्रवेशोत्सव के दौरान मुख्यधारा में शामिल करने में सफलता मिल गयी हो
  • ऐसे गाँव / वार्ड जहां शून्य ड्राप आउट हो एवं सभी बच्चे शाला में नियमित उपस्थित हो रहे हों
  • ऐसे स्कूलों की संख्या जिन्होंने सुघ्घर पढ़वैय्या योजना में अपना पंजीयन करवाया हो • ऐसे स्कूलों की संख्या जिन्होंने सुघ्घर पढ़वैय्या योजना में अपना थर्ड पार्टी आकलन करवाया हो
  • ऐसे स्कूलों की संख्या जिन्होंने "सुघ्घर पढ़वैय्या योजना में प्लेटिनम / गोल्ड / सिल्वर हासिल किया हो
  • ऐसे स्कूलों की संख्या जिन्होंने अपने बच्चों में FLN के लक्ष्यों को प्राप्त करने की चुनौती देकर समुदाय के सहयोग से अपना स्व-आकलन कर लिया हो |

छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जारी किये गए शासकीय आदेश डाउनलोड करने यहाँ [ क्लिक ] करें |

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