बल्ब का अविष्कार - Invention Of Bulb

इतिहास की किताबें हमें बताती हैं कि मानव सभ्यता का विकास हमेशा से प्रकाश के साथ जुड़ा रहा है। सदियों से लोग विभिन्न उपायों से प्रकाश उत्पन्न करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन कुछ ऐसे अविष्कार होते हैं जो मानवता को एक नए युग में पहुंचा देते हैं, और बल्ब का अविष्कार एक ऐसा ही महत्वपूर्ण अविष्कार है । इस उपकरण ने हमारे जीवन में रात के अंधकार से लेकर ज्ञान की ऊँचाइयों तक को पूरी तरह से परिवर्तित किया है | बल्ब का आविष्कार विज्ञान में एक बड़ी क्रांति थी।

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आज के युग में हम बिजली के बिना अपना जीवन कल्पना भी नहीं कर सकते। बिजली के द्वारा हमें रौशनी, गर्मी, ठंडा, संचार, मनोरंजन और अनेक सुविधाएं मिलती हैं। बिजली के उपयोग का सबसे प्राचीन और सरल रूप बल्ब है। बल्ब एक ऐसा उपकरण है, जो बिजली को रौशनी में बदलता है। बल्ब का आविष्कार ने मानव जाति को अंधकार से मुक्ति दिलाई और एक नए युग की शुरुआत की। 19वीं सदी में, एक विज्ञानी ने एक सोच से जुड़े एक सपने को हकीकत में बदल दिया और उस वैज्ञानिक का नाम है "थॉमस अल्वा एडिसन" |

बल्ब का अविष्कार

बल्ब का आविष्कार अमेरिका के महान वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडिसन ने सन 1879 में किया था। थॉमस एडिसन ने कार्बन फिलामेंट लाइट बल्ब बनाया था, जो 40 घंटे तक जल सकता था। थॉमस एडिसन ने अपनी इस खोज को 27 जनवरी 1880 को पेटेंट करवाया था। थॉमस एडिसन से पहले भी कई वैज्ञानिकों ने बल्ब बनाने का प्रयास किया था, लेकिन उनके बनाए गए बल्ब लंबे समय तक नहीं चल पाते थे। उनमें से कुछ प्रमुख नाम हैं:

हम्फ्री डेवी: उन्होंने सन 1802 में बिजली से चलने वाले बल्ब का पहला प्रयोग किया था। उन्होंने दो तारों के बीच एक अर्क बनाया था, जो रौशनी देता था। लेकिन यह बहुत तेज था और जल्दी ही खत्म हो जाता था।

वारेन डी रू: उन्होंने सन 1840 में प्लैटिनम की तार का उपयोग करके बल्ब बनाया था। लेकिन प्लैटिनम बहुत महंगा था और जल्दी ही पिघल जाता था।

जोसेफ स्वॉन: उन्होंने सन 1850 में कार्बन की तार का उपयोग करके बल्ब बनाया था। लेकिन उनका बल्ब भी ज्यादा देर तक नहीं चल पाता था।

इन सभी वैज्ञानिकों के प्रयोगों से थॉमस एडिसन को प्रेरणा मिली और उन्होंने बल्ब को और बेहतर बनाने के लिए कई सुधार किए।

बल्ब कैसे काम करता है?

बल्ब का काम बिजली को रौशनी में बदलना है। बल्ब में एक तार होती है, जिसे फिलामेंट कहते हैं। फिलामेंट में टंगस्टन धातु का उपयोग होता है, क्योंकि यह बहुत अधिक गर्मी सहन कर सकता है। जब बिजली फिलामेंट में प्रवाहित होती है, तो फिलामेंट गर्म होकर प्रकाश उत्पन्न करती है। फिलामेंट को हवा से बचाने के लिए इसके चारों ओर कांच का आवरण लगाया जाता है। इसके साथ ही इसमें आर्गन गैस भरी जाती है, जो फिलामेंट को जंग से बचाती है।

बल्ब के प्रकार

बल्ब के विभिन्न प्रकार हैं, जो अलग-अलग तकनीक, शक्ति, रौशनी और लागत के आधार पर वर्गीकृत किए जा सकते हैं। कुछ प्रमुख प्रकार हैं:

इंकैंडेसेंट बल्ब: ये वे बल्ब हैं, जो थॉमस एडिसन ने आविष्कार किए थे। इनमें एक कार्बन या टंगस्टन की फिलामेंट होती है, जो बिजली के प्रवाह से गर्म होकर रौशनी देती है। ये बल्ब सस्ते होते हैं, लेकिन बिजली की अधिक खपत करते हैं और कम अवधि के होते हैं।

फ्लोरोसेंट बल्ब: ये वे बल्ब हैं, जो एक गैस को बिजली के द्वारा उत्तेजित करके रौशनी उत्पन्न करते हैं। इनमें एक ट्यूब होता है, जिसमें आर्गन गैस और थोरियम या क्रिप्टन गैस का मिश्रण होता है। इन बल्बों की रौशनी शांत और शीतल होती है। ये बल्ब बिजली की कम खपत करते हैं और लंबे समय तक चलते हैं।

कॉम्पैक्ट फ्लोरोसेंट लाइट (CFL): ये वे बल्ब हैं, जो फ्लोरोसेंट बल्ब के समान ही काम करते हैं, लेकिन इनका आकार छोटा और मोड़ने योग्य होता है। इनमें एक बेंडेड ट्यूब होता है, जिसमें आर्गन गैस और थोरियम या क्रिप्टन गैस का मिश्रण होता है। इन बल्बों की रौशनी शांत और शीतल होती है। ये बल्ब बिजली की कम खपत करते हैं और लंबे समय तक चलते हैं।

लाइट एमिटिंग डायोड (LED): ये वे बल्ब हैं, जो एक डायोड को बिजली के द्वारा उत्तेजित करके रौशनी उत्पन्न करते हैं। इनमें एक छोटा सा चिप होता है, जिसमें दो प्रकार के सेमीकंडक्टर होते हैं। इन बल्बों की रौशनी तेज और गर्म होती है। ये बल्ब बिजली की बहुत कम खपत करते हैं और बहुत लंबे समय तक चलते हैं।

इनके अलावा और भी कुछ प्रकार के बल्ब होते हैं, जैसे हैलोजन बल्ब, मेटल हालाइड बल्ब, नियॉन बल्ब, आदि। आप अपनी जरूरत और बजट के अनुसार इनमें से किसी भी प्रकार का बल्ब चुन सकते हैं।

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थॉमस अल्वा एडिसन की संक्षिप्त जीवनी


Invention Of Bulb3 - Brief biography of Thomas Alva Edison - SchoolStuffs36garh


बल्ब के अविष्कार की जानकारी के साथ-साथ महान थॉमस अल्वा एडिसन के बारे में संक्षिप्त में जानकारी प्राप्त करते हैं :-

थॉमस एडिसन एक महान अमेरिकी आविष्कारक और व्यवसायी थे, जिन्होंने फोनोग्राफ, विद्युत बल्ब, फिल्म कैमरा और अन्य कई उपकरणों को आविष्कृत या सुधारा। उन्होंने अपनी जीवनी में 1093 पेटेंट प्राप्त किए और दुनिया को अपने अविष्कारों से रोशन किया। उन्हें “मेन्लो पार्क के जादूगर” के नाम से भी जाना जाता है।

उनका जन्म 11 फरवरी 1847 को अमेरिका के ओहियो राज्य में हुआ था। उन्होंने स्कूल की पढ़ाई पूरी नहीं की, लेकिन अपनी मां के मार्गदर्शन में घर पर ही बहुत कुछ सीखा। उन्हें बचपन से ही विज्ञान और तकनीक के प्रति रुचि थी। उन्होंने 12 साल की उम्र में अपनी पहली प्रयोगशाला बनाई और फलों और समाचारपत्रों का विक्रय करके परिवार की आर्थिक मदद की।

उन्होंने 20 साल की उम्र तक तार प्रेषण में निपुणता प्राप्त करके नौकरी की और अपने बचे समय में प्रयोग और परीक्षण किए। उन्होंने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण आविष्कार किए, जैसे कि फोनोग्राफ, जो आवाज को रिकॉर्ड और पुनः चला सकता था। विद्युत बल्ब, जो बिजली के प्रवाह से रौशनी देता था। फिल्म कैमरा, जो चलती फिल्में बनाने में काम आता था। उन्होंने विद्युत ऊर्जा के उत्पादन, प्रसारण और उपयोग के लिए भी कई यंत्र और प्रणालियां बनाईं।

उन्होंने अपनी जीवनी में दो बार शादी की। पहली बार 1871 में मैरी स्टिलवेल से, जिनकी 1884 में मृत्यु हो गई। दूसरी बार 1886 में मीना मिलर से, जो उनकी विधवा बनकर 1931 में मरी। उन्हें अपनी दोनों शादियों से कुल सात बच्चे हुए, जिनमें से तीन बेटे और चार बेटियां थीं।

उनकी मृत्यु 18 अक्टूबर 1931 को अमेरिका के न्यू जर्सी राज्य में हुई। उनकी मृत्यु का कारण डायबिटीज और गुर्दे की बीमारी थी। उनका शव उनके घर में रखा गया और उनके अंतिम संस्कार के लिए उनके घर के पास ही एक निजी कब्रिस्तान में दफनाया गया।

थॉमस एडिसन एक प्रेरणास्रोत थे, जिन्होंने अपनी कुशाग्रता, बुद्धिमत्ता, ईमानदारी और कड़ी मेहनत के बल पर दुनिया को अपने अविष्कारों से आश्चर्यचकित किया। उन्होंने अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य को पाने के लिए लगातार प्रयास किया। उन्होंने अपने आविष्कारों के माध्यम से विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में एक नई क्रांति लाई और मानवता के लिए एक अनमोल विरासत छोड़ी।

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