' बालवाड़ी योजना '
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Balwadi Yojna Chhattisgarh - schoolstuffs36garh |
बाल्यावस्था, वह समय है जब बच्चे ज़िंदगी की सबसे अधिक चीजें सीखते हैं। इस समय, उनकी सीखने की क्षमता अत्यधिक होती है और वे खेल-खेल में किसी भी चीज को आसानी से सीख सकते हैं । शिक्षक दिवस के अवसर पर, 5 सितंबर 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में नई शिक्षा नीति के तहत बच्चों के सीखने और समझने की क्षमता को विकसित करने के लिए 'बालवाड़ी योजना' की शुरुआत की ।
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शुरू की गई एक योजना है जिसका उद्देश्य राज्य में 3 से 6 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए पूर्व-प्राथमिक शिक्षा को सुलभ और मजबूत बनाना है । यह योजना नई शिक्षा नीति, 2020 के अनुरूप है और इसका लक्ष्य वर्ष 2025 तक सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण पूर्व-
प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना है । आज हम इस पोस्ट में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा लागू की गयी 'बालवाड़ी योजना' के बारे में संक्षिप्त में जानेंगे :
प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना है । आज हम इस पोस्ट में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा लागू की गयी 'बालवाड़ी योजना' के बारे में संक्षिप्त में जानेंगे :
इस योजना के मुख्य बिंदु :
- 'जाबो बालवाड़ी बढ़ाबो शिक्षा की गाड़ी' थीम के साथ मुख्यमंत्री ने इस योजना की शुरुआत की ।
- योजना पांच से छ: वर्ष तक की आयु के बच्चों के लिए है ।
योजना के माध्यम से:
- बच्चे सीखने के लिए प्रोत्साहित होंगे और स्कूल के माहौल के लिए तैयार किया जा सकेगा ।
- हर बालवाड़ी में आंगनबाड़ी सहायिका के अतिरिक्त प्राथमिक शाला के एक सहायक शिक्षक की भी तैनाती की जाएगी ।
- सहायक शिक्षक को हर माह 500 रुपए का अतिरिक्त मानदेय भी प्रदान किया जाएगा ।
अन्य महत्वपूर्ण बिंदु:
- बच्चों को खेल-खेल में अध्यापन कराने के लिए आंगनबाड़ी सहायिका और शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है ।
- प्रत्येक बालवाड़ी के लिए बच्चों के अनुकूल फर्नीचर, खेल सामग्री, और प्रिंटरीच रंग-रोगन के लिए एक लाख रुपए की स्वीकृति भी प्रदान की गई है ।
हम सबको ज्ञात है मनुष्य के मस्तिष्क का 85 प्रतिशत विकास बाल्य अवस्था में ही हो जाता है । एक बच्चा अपने प्रारंभिक वर्षों में जो सीखता है, वही चीजें स्कूल में और आगे जीवन में उसकी मदद करती हैं । शिक्षण की शुरुआत तभी हो जानी चाहिये, जब बच्चों का मस्तिष्क तैयार हो रहा हो ।
इसी प्रकार बालवाड़ी योजना का उद्देश्य बच्चों के मानसिक, सामाजिक, मनोवैज्ञानिक एवं संज्ञानात्मक विकास करने एक लिये एक शिक्षण-सेतु के तौर पर कार्य करेगी ताकि 5 से 6 वर्ष की उम्र में जब बच्चे पहली कक्षा में जाएँ तो वह उसके लिये पूरी तरह तैयार हो चुके हों ।
आशा है आप सबको यह जानकारी ज्ञानवर्धक साबित होगी । आप अपने सुझाव अथवा प्रोत्साहन नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स के माध्यम सेभेज सकते हैं ।